केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीज को मौलिक अधिकार बताते हुए कहा है कि बीज सबसे बड़ी पूंजी है। नई किस्मों को बढ़ावा देना जरूरी लेकिन पुरानी किस्मों को भी बचाना है, दोनों के बीच संतुलन बेहद जरूरी है।
शिवराज सिंह चौहान बुधवार को नई दिल्ली में ‘पादप जीनोम संरक्षक पुरस्कार समारोह और पीपीवीएफआरए अधिनियम, 2001 के रजत जयंती व PPVRFA (पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण) के 21वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में भागीदारी कर रहे थे। उन्होंने चयनित किसानों को पुरस्कार वितरित किया।
चौहान ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि PPVRFA ने पिछले 20 वर्षों में अद्भुत काम किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि पद्धति अत्यंत प्राचीन है। कृषि हमारे देश का मूल रहा है। अनेक बीजों की किस्में पोषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन बीते वर्षों में कुछ किस्में विलुप्त होने की कगार पर आ गई थीं, जिन्हें सहेजने में किसान भाई-बहनों ने प्रशंसनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि अधिनियम के माध्यम से बीज संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 15 लाख रुपये तक की धनराशि देने का प्रावधान किया है।
केंद्रीय मंत्री ने पीपीवीएफआरए अधिनियम में नए सुझावों को शामिल करने के प्रस्ताव की भी चर्चा की और कहा कि जहां आवश्यक होगा वहां अधिनियम में नए सुझावों को शामिल करते हुए संशोधन किया जाएगा।
चौहान ने कहा कि अधिनियम के बारे में अभी भी किसानों को कम जानकारी है पंजीकरण को लेकर भी कुछ जटिलताएं हैं जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है। केंद्रीय मंत्री ने पीपीवीएफआरए अधिनियम का अन्य कानूनों के साथ समन्वय और वैज्ञानिक डेटाबेस को मजबूत करने की भी बात कही।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने प्राकृतिक और जैविक दृष्टि से किसानों के द्वारा पौधों और बीजों की किस्मों को संरक्षित करने के उपायों की चर्चा की और बताया कि इसी संरक्षण को आगे बढ़ाते हुए पीपीवीएफआरए के माध्यम से कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।
कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने मडुआ जैसी विभिन्न प्रजातियों के बीजों के संरक्षण पर बल देते हुए संगठन से इस दिशा में और सक्रिय प्रयास करने का आह्वान किया।